Thursday, 26 May 2011

                      पूजा करने वालों को सतगुरु रविदास का पैगाम
हर सों हीरा छोड़ करे औरन की आस, ते नर दोजख जायेंगे सत भाखे रविदास

Sunday, 22 May 2011

                                     मेरा भारत महान
जहाँ धरम के जनून में लोगों ने छोड़ दी मानवता,
बेच दिया ईमान, बन गए नरभक्षी और हैवान, वह है मेरा भारत महान
जहाँ पत्थर की मूर्तिओं के लिए बनाए जाते हैं स्वर्ण रथ और स्वर्ण मुकुट,
आडम्बरों पर बहाया जाता है धन अकूट, किन्तु रोटी के टुकड़े को तरसते हैं नन्हे-नन्हे प्राण, वह है मेरा भारत महान
जहाँ नारी को उसके पति की चिता के साथ जिन्दा जलाकर किया जाता है धरम रक्षा का अभिमान, वह है मेरा भारत महान
जहाँ नारी को  पूजे जाने की डींगें हांकी जाती हैं नित्य, किन्तु अपनी पत्नी को दांव पर लगाने वालों का, अनेक अग्नि परीक्षाएं लेने के बाद भी अपनी निर्दोष पत्नी को कुलटा कहकर त्यागने वाले का किया जाता है नित्य गुणगान, वह है मेरा भारत महान
जहाँ अहिंसा और परोपकार की बातें की जाती हैं नित्य, लेकिन निज स्वार्थ सिधि के लिए देवता को प्रसन्न करने के लिए काका जी लेते हैं अपनी भतीजी के प्राण, वह है मेरा भारत महान 

Wednesday, 18 May 2011

प्रेमी ने कब्र के अन्दर से अपनी प्रेमिका के लिए उसकी सहेली के हाथों सन्देश भेजा
कह देना उनसे वो आयें मेरी कब्र पर दो फूल चढ़ा जाएँ, गर फूल न चढाने आयें तो थोड़ा मुस्करा जाएँ
दो दिन बाद सहेली फिर से उसकी कब्र पर आई और उससे प्रेमिका के बारे में पूछा तो कब्र के अन्दर से आवाज आई,
वोह आए थे मेरी कब्र पर दो फूल चढ़ा गए, अरे हम तो पहले ही दबे थे वोह और दबा गए.
कल तक वोह कहते थे कि तुम्हरे लिए अपनी जान भी दे देंगे, अब वोह  अपनी बीवी को जान कहते हैं, मगर मांगने पर आंखे दिखाते हैं.

Monday, 9 May 2011

ऐसा चाहूँ राज मैं, जहाँ मिले सभी को अन्न, छोट बड़े सब संग बसें, रविदास रहे प्रसन्न
प्यार भले ही ढाई अक्षरों से बना होता है, लेकिन इस ढाई अक्षर का अर्थ समझने में पूरी जिंदगी गुजर जाती है, मगर इस प्यार का अर्थ समझ में नहीं आता. कबीर जी कहते हैं कि पोथी पढ़ पढ़ जग मुआ पंडित भयो न कोय, ढाई आखर प्रेम के पढ़े सो पंडित होय.

Sunday, 8 May 2011

युक्ति सांगत बात तो बच्चे की भी मान लेनी चाहिए, लेकिन युक्तिहीन बात का तुरंत त्याग कर देना चाहिए भले ही वोह बात स्वयं ब्रह्मा ने ही क्यों न कही हो ( भगवान वाल्मीकि जी)

तंतर मंतर सब झूठ है, मत भरमो जग कोई, सार शब्द जाने बिना कागो हंस न होए (सतगुरु कबीर जी)

                भूत पूजा करने वालों को सतगुरु रविदास का पैगाम
हर सों हीरा छोड़ करे औरन की आस, ते नर दोजख जायेंगे सत भाखे रविदास

कौन कहता है कि चलते रहने से मंजिल मिल जाती है, गलत दिशा में रखा पांव मंजिल से कोसों दूर ले जाता है. (भगवान वाल्मीकि जी)
जन्मता मरता है जो जामाए इन्सान है,
अशरफ ए उल है मगर वोह मौत से हैरान है,
कृषण विष्णु राम ईशा शिव मुहम्मद मुस्तफा,
सब थे पुतले ख़ाक के और खाक के दरमियाँ हैं,
जिस्म ए नारी से जो बशर पैदा हुआ,
वोह न करता सृस्ठी का और ही वोह भगवन है.