Sunday, 8 May 2011

जन्मता मरता है जो जामाए इन्सान है,
अशरफ ए उल है मगर वोह मौत से हैरान है,
कृषण विष्णु राम ईशा शिव मुहम्मद मुस्तफा,
सब थे पुतले ख़ाक के और खाक के दरमियाँ हैं,
जिस्म ए नारी से जो बशर पैदा हुआ,
वोह न करता सृस्ठी का और ही वोह भगवन है. 

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