Raj kumar Sathi
Monday, 9 May 2011
प्यार भले ही ढाई अक्षरों से बना होता है, लेकिन इस ढाई अक्षर का अर्थ समझने में पूरी जिंदगी गुजर जाती है, मगर इस प्यार का अर्थ समझ में नहीं आता. कबीर जी कहते हैं कि पोथी पढ़ पढ़ जग मुआ पंडित भयो न कोय, ढाई आखर प्रेम के पढ़े सो पंडित होय.
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