Saturday, 30 April 2011

फुर्सत के क्षणों में राज कुमार साथी   

केंद्रीय मंत्री हरीश रावत के साथ अजय बिरला 

रूडकी में आयोजित भगवान वाल्मीकि जी के परगट दिवस के मौके पर आयोजित कार्यक्रम के दौरान संबोंधित करते अजय बिरला.कार्यक्रम में केंद्रीय मंत्री हरीश रावत भी उपस्थित रहे. 
राज कुमार साथी के साथ बॉलीवुड अभिनेत्री मोना सिंह 
बॉलीवुड अभिनेता अक्षय कुमार राज कुमार साथी से पेन मांगते हुए 
राज कुमार साथी से बात करते बॉलीवुड अभिनेता जिम्मी शेरगिल.
राज कुमार साथी के साथ महाभारत के भीम प्रवीण कुमार.
राज कुमार साथी के साथी बॉलीवुड अभिनेत्री उर्मिला मातोंडकर और ईशा कोपिकर 
राजकुमार साथी के साथ बॉलीवुड अभिनेता अरुण बक्शी
राष्ट्रीय अनुसूचित जाति आयोग के उपाध्यक्ष डॉ. राज कुमार के साथ बैठक करते राज कुमार साथी और अजय बिरला 
राष्ट्रीय अनुसूचित जाति आयोग के उपाध्यक्ष डॉ. राज कुमार के साथ बैठक करते राज कुमार साथी और अजय बिरला 
राज कुमार साथी के साथ पंजाबी कामेडियन गुरप्रीत घुग्गी. 

पीर निगाहे वाला दाकुमेंत्री फिल्म की शूटिंग करते राज कुमार साथी 
फिल्म अभिनेत्री मन्दिरा बेदी राज कुमार साथी से बात करते हुए 
पीर निगाहे वाला दाकुमेंत्री फिल्म की शूटिंग करते राज कुमार साथी 
























Friday, 29 April 2011

बुलबुल के पिंजरे में बाज़ नहीं रहते,
बुजदिल के दिल में राज नहीं रहते,
जिस कौम को सर झुकाने की आदत हो जाए,
उस कौम के सर पे कभी ताज नहीं रहते.
अगर तुम न होते तो ज़माना न होता,
तेरी रहमतों का खजाना न होता,
गर लिखी न होती रामायण की गाथा,
मेरा दिल भी तुझ पर दीवाना न होता,
अँधेरे में तू है उजाले में तू है,
गिरजे में तू है शिवालय में तू है,
जहाँवर को तुने इल्म दे दिया है,
जुबान दे दिया है कलम दे दिया है,
चारों दिशाओं पे रहमों करम है तुमाहरा,
तेरी रहन्माई में है आलम यह सारा,
साथी करे मुक़र्रर तुझे जगत भर के नेता,
प्रभु वाल्मीकि रामायण रचयता,
प्रभु वाल्मीकि रामायण रचयता
तुमने चाहा ही नहीं वर्ना हालात बदल सकते थे
मेरी आँखों से निकले आंशु तेरी आँखों से निकल सकते थे,
तुम तो ठहरे रहे झील के पानी की तरह,
दरिया बन कर बहते तो सागर बन सकते थे.

मेरी नज़र में इंसान की कीमत:
एक दिन शाम को निकले, दिल में कुछ अरमान थे,
एक तरफ थी झाडियन एक तरफ शमशान थे,
एक हड्डी पांव से टकरा गई, उसके यह बयाँ थे,
कि ए साथी जरा संभल के चल हम भी कभी इंसान थे.

मैं हैरान हूँ उन लोगों के लिए जो पत्थर की मूर्तिओं की तो पूजा करते हैं पर इंसान से नफरत करते हैं, कौन समझाए उन्हें कि भगवन पथरों में नहीं इंसानों के दिलों में बसता है.
जिन्दगी बहुत छोटी है और अंशु बहुत कीमती, इन्हें उनके लिए न बहाओ जो इनकी कदर नहीं जानते