Raj kumar Sathi
Friday, 29 April 2011
मेरी नज़र में इंसान की कीमत:
एक दिन शाम को निकले, दिल में कुछ अरमान थे,
एक तरफ थी झाडियन एक तरफ शमशान थे,
एक हड्डी पांव से टकरा गई, उसके यह बयाँ थे,
कि ए साथी जरा संभल के चल हम भी कभी इंसान थे.
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