अगर तुम न होते तो ज़माना न होता,
तेरी रहमतों का खजाना न होता,
गर लिखी न होती रामायण की गाथा,
मेरा दिल भी तुझ पर दीवाना न होता,
अँधेरे में तू है उजाले में तू है,
गिरजे में तू है शिवालय में तू है,
जहाँवर को तुने इल्म दे दिया है,
जुबान दे दिया है कलम दे दिया है,
चारों दिशाओं पे रहमों करम है तुमाहरा,
तेरी रहन्माई में है आलम यह सारा,
साथी करे मुक़र्रर तुझे जगत भर के नेता,
प्रभु वाल्मीकि रामायण रचयता,
प्रभु वाल्मीकि रामायण रचयता
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